प्रवर्तन निदेशालय संपूर्ण जाणकारी हिंदी मे
भारत सरकार के एक प्रमुख वित्तीय जांच एजेंसी के रूप में, प्रवर्तन निदेशालय, भारत के संविधान और विधियों के कठोर अनुपालन के साथ कार्य करता है और सभी विधिक प्राधिकारियों के मार्ग दर्शन का सम्मान करता है। हम उच्च व्यावसायिक मानक एवं विश्वसनीयता को स्थापित करने एवं उसे बनाये रखने का प्रयत्न करते है। इन मानको के लिए निम्नलिखित प्रकार से हमारे आधारभूत मूल्यों के प्रति निष्ठा आवश्यक हैः-
सत्यनिष्ठा : निम्नलिखित द्वारा प्रदर्शित सत्यनिष्ठा हमारी आधारभूत आवश्यकता है
नैतिक सिद्धांत, इमानदारी एवं सच्चाई की मजबूती
व्यक्तिगत आचरण एवं चरित्र के उच्च मानक
सूचना का प्रयोग करने में पूर्ण विश्वसनीयता
उत्तरदायित्व: हम परिणामों के लिए उत्तरदायी हैं। हम
प्रत्येेक को जो उससे अपेक्षा की जानी है, उसके द्वारा जानना सुनिश्चित करते है कि कैसें उनके कार्य का मुल्यांकन किया जाएगा और कैसे सफलता का मापन एवं निर्धारण किया जाएगा।
हमारे प्रयासों एवं कार्यवाहियों के परिणामों के लिए उत्तरदायित्व को स्वीकार करते हैं।
प्रतिबद्धता: हमारे लिए प्रतिबद्धता का अर्थ, परिणाम प्राप्त करने के लिए समर्पण, अनुप्रयोग, दृढ़ता एव निश्चयता है। यह हमारे लिए अपेक्षित हैः -
उन सभी कार्यों के लिए हमारा उपयोग करने की मांग करता है जिनके लिए हमारा उत्तरदायित्व है
दल और संगठनात्म्क उददेश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करना।
उत्कृष्टता: हमारा लक्ष्य हम जो भी करते है उसमें उत्कृष्ट होना है और निम्न के लिए तलाश करना है
सदैव तंत्र एवं प्रणालियों को उन्नत करना तथा बेकार और अक्षमता को हटा कर कार्य- निष्पादन में सतत् रूप से सुधार करना
श्रेष्ठ वैश्विक अभ्यासों से सीखकर हमारे जांच कौशल को धारदार करना
सामूहिक कार्य का समर्थन करने, एक-दूसरे के साथ बेहतर रूप से जानकारी का आदान-प्रदान करने, कार्यों के प्रत्यायोजन को प्रोत्साहन देने, अनुशासनिक मामलों का सख्ती से निपटान करना।
निष्पक्षता: हमारा लक्ष्य हैः-
हमारी जांच में निष्पक्षता एवं न्यायसंगत होना
सच्चाई प्रदर्शित करना और उसका पालन करना
बिना भय या पक्षपात के निर्णय देना
बिना द्वेष, पूर्वाग्रह या पक्षपात के काम करना एवं सत्ता के दुरूप्रयोग की अनुमति नहीं देना.
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1. प्रवर्तन निदेशालय या ईडी एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है। इस निदेशालय की स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा,1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक प्रवर्तन इकाई का गठन का गया था। दिल्ली में अवस्थित मुख्यालय वाले इस इकाई का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक के रूप में विधिक सेवा के एक अधिकारी द्वारा किया गया,जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से प्रतिनियुक्ति पर लिए गए एक अधिकारी और विशेष पुलिस स्थापना के 03 निरीक्षकों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। बंबई और कलकत्ता में इसकी 02 शाखाएँ थीं।
2. वर्ष 1960 में इस निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण, आर्थिक कार्य मंत्रालय से राजस्व विभाग में हस्तांतरित कर दिया गया था। समय बदलता गया,फेरा 47 निरसित हो गया और इसके स्थान पर फेरा,1973आ गया। 04वर्ष की अवधि )1973-77) में निदेशालय को मंत्रीमण्डल सचिवालय,कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में रखा गया । वर्तमान में, निदेशालय राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
3. आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया के चलते फेरा,1973,जो कि एक नियामक कानून था,उसे निरसित कर दिया गया और इसके स्थान पर, 01जून, 2000 से एक नई विधि विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 फेमा लागू की गई। बाद मे, अंतर्राष्ट्रीय धन शोधन व्यवस्था के अनुरूप, एक नया कानून धन शोधन निवारण अधिनियम,2002 (पीएमएलए) बना और प्रवर्तन निदेशालय को दिनांक 01.07.2005 से पीएमएलए को प्रवर्तित करने का दायित्व सौंपा गया। हाल ही में,विदेशों में शरण लेने वाले आर्थिक अपराधियों से संबंधित मामलों की संख्या में वृद्धि के कारण, सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (एफइओए) पारित किया है और प्रवर्तन निदेशालय को 21 अप्रैल, 2018 से इसे लागू करने का दायित्व सौंपा गया है।
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प्रवर्तन निदेशालय एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो धन शोधन के अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है। निदेशालय के वैधानिक कार्यों में निम्नलिखित अधिनियमों का प्रवर्तन शामिल है:
1. धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002(पीएमएलए): यह एक आपराधिक कानून है जिसे धन शोधन को रोकने के लिए और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने के लिए तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए अधिनियमित किया गया है। प्रवर्तन-निदेशालय को अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने हेतु अन्वेषण करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करवाते हुए पीएमएलए के प्रावधानों के प्रवर्तन की जिम्मेदारी दी गई है।
2. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम,1999 (फेमा): यह एक नागरिक कानून है जो विदेशी व्यापार और भुगतान की सुविधा से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया गया है। प्रवर्तननिदेशालय को विदेशी मुद्रा कानूनों और विनियमों के संदिग्ध उल्लंघनों के अन्वेषण करने,कानून का उल्लंघन करने वालों को न्यायनिर्णित करने और उन पर जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।
3. भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम,2018 (एफ.ई.ओ.ए): यह कानून आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर भागकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए बनाया गया था। यह एक ऐसा कानून है जिसके तहत निदेशालय को ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधी,जो गिरफ्तारी से बचते हुए भारत से बाहर भाग गए हैं,उनकी संपत्तियों को कुर्क करने के लिए तथा उनकी संपत्तियों को केंद्र सरकार से संलग्न करने का प्रावधान करने हेतु अधिदेशित किया गया है।
4. विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम,1973 (फेरा): निरसित एफइआरए के तहत मुख्य कार्य उक्त अधिनियम के कथित उल्लंघनों के लिए उक्त अधिनियम के तहत 31.05.2002 तक जारी कारण बताओ नोटिस का न्यायनिर्णयन करना है, जिसके आधार पर संबंधित अदालतों में जुर्माना लगाया जा सकता है और एफइआरए के तहत शुरू किए गए मुकदमों को आगे बढ़ाया जा सकता है।
5. सीओएफइपीओएसए के तहत प्रायोजक एजेंसी: विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम,1974 (सीओएफइपीओएसए) के तहत,इस निदेशालय को एफइएमए के उल्लंघनों के संबंध में निवारक निरोध के मामलों को प्रायोजित करने का अधिकार है।
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